कुछ किस्से कुछ किस्सों जैसे Chetan Dikkar
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- Society & Culture
हमारे आसपास हर वक्त किस्से बनते रहते हैं। हर किस्सा अपनी तरह का होता है। हर किस्से में अलग बात होती है। कुछ किस्से हमारे खुद के होते हैं, तो कुछ किस्से हमारे आस पास रहने वालों के। कुछ किस्से होते हैं, तो कुछ किस्सों जैसे होते हैं। इन्हीं किस्सों को सहेजने की कोशिश मैंने की है। तो चलिए, सफर शुरू करते हैं किस्सों के रास्तों पे। बस शर्त ये है कि बीच बीच में हूँ-हाँ करते रहना है, नहीं तो मैं समझूंगा कि आप सो गए।